अगर "कानून-व्यवस्था" आम आदमी पार्टी की गारंटी थी, तो फिर 2022 के बाद से पंजाब में फिरौतियों और टारगेट किलिंग के मामले तीन गुना क्यों बढ़ गए?
जब डॉक्टर और कारोबारी तक या तो भाग रहे हैं या हथियार उठा रहे हैं, तो क्या ये गारंटी है या डर का राज?
और अगर अरविंद केजरीवाल वाकई में पंजाब को 'प्रॉक्सी' से चला रहे हैं, तो क्या भगवंत मान सिर्फ दिखावे के मुख्यमंत्री बनकर रह गए हैं?