₹500 करोड़ वाले बयान” के बाद नवजोत कौर सिद्धू को कांग्रेस से निलंबित किए जाने के बाद, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की खुलकर तारीफ करना और अमृतसर की सड़कों व हाइवे के मुद्दे उनके सामने उठाना, राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे रहा है।
Suggestions - SLAH
A) स्थानीय समस्याएं सुलझाने की ईमानदार कोशिश, कोई राजनीतिक संकेत नहीं।
B) कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाने की रणनीति।
C) कांग्रेस से आगे के विकल्प तलाशने का शुरुआती संकेत।
D) निजी राजनीतिक स्थिति मजबूत करने और कांग्रेस की कमजोर पकड़ का मिश्रण।
After Navjot Kaur Sidhu was suspended from the Indian National Congress over her controversial “₹500-Crores remark,” her public praise for Union minister Nitin Gadkari and her outreach to him on Amritsar’s road and highway issues has sparked fresh speculation.
The BJP insists that Narendra Modi honoured the Sahibzadas by naming December 26 as Veer Bal Diwas. But if Sikh tradition already commemorated their martyrdom in its own way, why did the Centre feel the need to rename it at all, and why ignore the directive of the Akal Takht now ? Is the BJP honouring Sikh history, or reshaping it through branding and centralised symbolism, even at the cost of Sikh institutions’ authority ?
भाजपा का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस घोषित कर साहिबज़ादों का सम्मान किया। लेकिन अगर सिख परंपरा पहले से ही उनकी शहादत को अपने तरीके से याद करती रही है, तो फिर केंद्र को नाम बदलने की ज़रूरत क्यों पड़ी ? और अब जब अकाल तख्त ने आपत्ति जताई है, तो उसकी मर्यादा को नज़रअंदाज़ क्यों किया जा रहा है ? तो असली सवाल यह है, क्या भाजपा सिख इतिहास का सम्मान कर रही है या फिर उसे दिल्ली से तय की गई ब्रांडिंग और केंद्रीकृत प्रतीकों के ज़रिये नए रूप में पेश कर रही है, भले ही इससे सिख संस्थाओं की हैसियत कम हो ?