अगर विपक्षी सांसद "ऑपरेशन सिंदूर" का बचाव करने के लिए विदेशों में भरोसेमंद माने गए, तो उन्हें संसद में बोलने से क्यों रोका जा रहा है?
क्या लोकसभा और राज्यसभा की अध्यक्षता करने वाली कुर्सियाँ अब लोकतंत्र की मूक दर्शक बन चुकी हैं?
A) हाँ — अब चुप रहना ही परंपरा बन गया है।
B) नहीं — वे तो सिर्फ नियमों का पालन कर रहे हैं।
C) शायद — अब लोकतंत्र कुछ चुने हुए लोगों तक ही सीमित है।