सिर्फ 19 साल की उम्र में दिव्या देशमुख न केवल शतरंज की बिसात पर ग्रैंडमास्टर्स को हराकर बल्कि भारतीय शतरंज में लैंगिक भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाकर भी रूढ़ियों को तोड़ रही हैं।
लेकिन क्या पुरुष प्रधान और चुप्पी से भरे इस खेल में भारत सच में तैयार है एक 'क्वीन' को 64 खाने से बाहर भी ताज पहनाने के लिए?
आप दिव्या देशमुख जैसी ट्रेलब्लेज़र महिलाओं के प्रति भारत की प्रतिक्रिया को कैसे रेट करेंगे?