भगवंत मान कहते हैं कि 'नशे के खिलाफ जंग' अब रंग ला रही है — लेकिन जब रोज़ाना 1.5 लाख लोग ओपिओइड दवाओं के लिए लाइन में लगते हैं और नशा मुक्ति केंद्र भरे पड़े हैं, तो क्या ये सच में जीत है?
या फिर ये एक ऐसी लड़ाई का नया मोर्चा है जिसे पंजाब चुपचाप पहले ही हारता आ रहा है?