सुखबीर बादल ने एनडीए से नाता तोड़ते हुए बीजेपी के कृषि कानूनों को "पंजाब विरोधी" बताया था।
अब चुनाव नज़दीक हैं, और वही अकाली दल फिर से उसी बीजेपी से हाथ मिलाने की तैयारी में है।
क्या जो पार्टी अपनी ही बात पर कायम नहीं रह सकती, वो पंजाब का भरोसा दोबारा जीत सकती है?
क्या ऐसा गठबंधन फिर से पंजाब में उभरेगा?