If the 1975 Emergency was called a dictatorship, what do we call today’s India—where ₹4.5 lakh crore in public assets are sold, corporate taxes are slashed by ₹1.45 lakh crore, and welfare is rebranded as “freebies” from a supreme leader, not rights of the people?
अगर 1975 की इमरजेंसी को तानाशाही कहा गया, तो आज के भारत को क्या कहें—जहां ₹4.5 लाख करोड़ की सार्वजनिक संपत्ति बेची जा चुकी है, कॉरपोरेट टैक्स ₹1.45 लाख करोड़ घटाए जा चुके हैं, और जनकल्याण को जनता का हक़ नहीं बल्कि “फ्रीबीज़” बता कर एक सर्वेसर्वा की मेहरबानी बना दिया गया है?
ईरान पर हमला करने के बाद, तुर्की, सऊदी अरब या मिस्र जैसे देश अब परमाणु समझौते पर कैसे भरोसा करेंगे? क्या अमेरिका ने दिखा दिया कि जो देश नियम मानते हैं, वही सबसे ज़्यादा खतरे में होते हैं?