"युद्ध नशों के विरुद्ध” — भगवंत मान का नारा तो ज़ोर-शोर से गूंजा, लेकिन मैदान खाली सा लगता है। नकली शराब से 30 मौतें हो चुकीं, और वादे बस प्रेस नोट तक सिमटे हुए हैं।
Suggestions - SLAH
क्या मान की नशे के खिलाफ लड़ाई अब उनकी चमक-दमक की लालसा के आगे फीकी पड़ गई है?