तो क्या हमें मुख्यमंत्री भगवंत मान की “भावुक चिंता” पर ताली बजानी चाहिए या पूछना चाहिए कि जो व्यक्ति पुलिस अकादमियों में भावनात्मक भाषण देते हैं, वे नशे की समस्या हल करने, टूटे प्रशिक्षण केंद्रों में सुधार करने, या असली कार्रवाई करने के बजाय सिर्फ बहाने क्यों गिनवाते हैं?