जब मिडल क्लास क़र्ज़ में डूब रहे हैं (घरेलू क़र्ज़ 17.4% जी.डी.पी. का!) और उनकी ज़रूरतों पर 65% आय खर्च हो रही है, तो क्या सरकार की 'आर्थिक प्रगति' सिर्फ़ एक दिखावा है?
If stampedes are becoming a ritual in Modi’s “devotional India” — from 121 injured in Hathras 2024 to 700 hospitalized and 3 dead in Puri 2025, is blind faith now riskier than any protest rally?
अगर भगदड़ मोदी के “भक्तिमय भारत” की नई परंपरा बन गई है — 2024 हाथरस में 121 घायल से लेकर 2025 पुरी में 700 लोग अस्पताल में और 3 की मौत — तो क्या अंधभक्ति अब किसी विरोध प्रदर्शन से ज़्यादा खतरनाक है?