क्योंकि वह उस साफ़-सुथरे, हिंदू-केंद्रित 'भारतीयता' के दायरे में नहीं आती जो आज की सुर्ख़ियों पर छाई हुई है?
Opinion
मीरा नायर ने सिनेमा के ज़रिए भारत की कहानियाँ दुनिया तक पहुँचाईं,
तो क्या अब भारत उनके बेटे की राजनीतिक कहानी को इसलिए नकार रहा है क्योंकि वह उस साफ़-सुथरे, हिंदू-केंद्रित 'भारतीयता' के दायरे में नहीं आती जो आज की सुर्ख़ियों पर छाई हुई है?
If stampedes are becoming a ritual in Modi’s “devotional India” — from 121 injured in Hathras 2024 to 700 hospitalized and 3 dead in Puri 2025, is blind faith now riskier than any protest rally?
अगर भगदड़ मोदी के “भक्तिमय भारत” की नई परंपरा बन गई है — 2024 हाथरस में 121 घायल से लेकर 2025 पुरी में 700 लोग अस्पताल में और 3 की मौत — तो क्या अंधभक्ति अब किसी विरोध प्रदर्शन से ज़्यादा खतरनाक है?