कुछ साल पहले पंजाब में 6 लाख से अधिक युवा रोज़गार कार्यालयों में रजिस्टर्ड थे और नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे थे। 2022 के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यह संख्या घट कर 2.20 लाख हो गई है। क्या 4 लाख युवाओं को रोज़गार मिल गया है या इतनी असुरक्षा है कि युवा अपना नाम दर्ज़ ही नहीं करवाना चाहते?