प्रथम हरित क्रांति के बाद जहां पंजाब के प्राकृतिक संसाधनों का भरपूर उपयोग हुआ, वहीं देश के खाद्य भंडारण के लिए यह आवश्यक था। इसलिए आज हम पंजाब के प्राकृतिक संसाधनों पर नज़र डाल रहे हैं, चाहे वह भूमिगत जल हो या ज़मीन की उर्वरता या हमारी मेहनत, वह सब निर्यात किया जा रहा है। इसका कितना लाभकारी मूल्य मिल रहा है? इसकी यदि कोई जानकारी नहीं है तो क्या इसके बारे में कोई पूछेगा भी नहीं?