A) संस्थान न्याय देने की बजाय अपनी छवि चमकाने में लगे हुए हैं।
B) राजनीतिक दबाव और पक्षपात ने जिम्मेदार संस्थानों को मौन दर्शक बना दिया है।
C) विपक्ष को अपनी बात कहने के बजाय “विश्वासघाती” करार दिए जाने का खतरा है।
D) लोग अंततः इन संस्थानों को लोकतंत्र के रक्षक नहीं, बल्कि केवल दिखावे की वस्तु समझने लगेंगे।