बिहार में नरेंद्र मोदी—जो कभी वैश्विक ताक़त का प्रतीक थे—अब आक्रोश की राजनीति पर टिके हैं, एक निजी अपमान को “राष्ट्र का ज़ख्म” बता कर, जबकि INDIA गठबंधन की वोटर अधिकार यात्रा असली मुद्दों जैसे मताधिकार और भ्रष्टाचार पर पकड़ बना रही है।
क्या यह एक आत्मविश्वासी नेता का लोकतंत्र की रक्षा करना है या एक कमजोर पड़ चुका नेता जो भावनात्मक नाटकों के सहारे टिके रहने की कोशिश कर रहा है?
A) भारत माता का रक्षक, दर्द को राजनीति में बदलने वाला।
B) कमज़ोर पड़ चुका नेता, ध्यान भटकाने के लिए आक्रोश का सहारा।
C) बेनकाब नेता, जैसे-जैसे विपक्ष मज़बूत हो रहा है, पकड़ ढीली कर रहा है।