हेलीकॉप्टर, चौड़ी सड़कें, बड़े बांध—क्या ये आधुनिक प्रगति के संकेत हैं, या हम हिमालय की पवित्र और नाज़ुक पहचान को विकास के नाम पर मिटा रहे हैं?
क्या हम कभी पर्यटन, विकास और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन बना पाएंगे, या हम लगातार संकट के चक्र में फंसे रहेंगे?
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