82 साल की उम्र में, जब ज़्यादातर नेता राज्यसभा की सीटों के सहारे रिटायरमेंट की राह पकड़ते हैं,
तब वी.एस. अच्युतानंदन मुन्नार में ज़मीन पर कब्ज़ा हटवाते हैं, अवैध लॉटरी पर बैन लगाते हैं, और भ्रष्ट ठेकेदारों पर कार्रवाई करते हैं।
क्या यह आख़िरी बार था जब भारत ने एक मुख्यमंत्री की सत्ता को वंश या फायदे का साधन नहीं, बल्कि कर्तव्य समझते देखा?