जब UPSC अभ्यर्थी सालों मेहनत करते हैं ऐसे पदों के लिए, तब 9वीं फेल क्रिकेटर रिंकू सिंह को बेसिक शिक्षा अधिकारी बनाना क्या संदेश देता है? क्या अब सरकारी पद गिफ्ट हैम्पर की तरह बांटे जा रहे हैं?
Polling
A) हां — यह मेरिट का अपमान है और UPSC अभ्यर्थियों का मज़ाक।
B) नहीं — हर क्षेत्र की उपलब्धियों का सम्मान होना चाहिए।
C) यह सार्वजनिक संस्थाओं के राजनीतिक इस्तेमाल का खतरनाक ट्रेंड दिखाता है।
When UPSC aspirants study for years to earn roles like Basic Education Officer, what message does Rinku Singh’s appointment (9th fail, cricketer) send? Are Government posts being distributed like gift hampers now?