भारत निर्वाचन आयोग का यह आदेश, जिसमें आपके वोटिंग अधिकार की पुष्टि के लिए आपके पिता के दस्तावेज़ मांगे जा रहे हैं — क्या यह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की तरह नहीं लगता?
ख़ासतौर पर बिहार जैसे राज्य में, जहाँ ग़रीबों और अल्पसंख्यकों के पास ऐसे पुराने कागज़ कम ही होते हैं?
क्या यह नरेंद्र मोदी का नया तरीका है यह तय करने का कि किसे वोट डालने का अधिकार मिलेगा और किसे नहीं?