मंत्री हरपाल चीमा कह रहे हैं कि वे "मजबूत पुनर्वास प्रणाली" बना रहे हैं।
लेकिन मंत्री बलबीर सिंह का स्वास्थ्य विभाग तब कहाँ था जब पंजाब के ज़्यादातर सरकारी नशा मुक्ति केंद्रों में न तो स्टाफ था, न दवाइयाँ, न ही बुनियादी ढांचा?
पंजाब में अभी भी हर 60,000 लोगों पर केवल एक मनोचिकित्सक ही क्यों है?