सुनील जाखड़ खुद कहते हैं कि पंजाब में हज़ारों करोड़ की नशे की कमाई और नेताओं की अचानक बढ़ी दौलत किसी गहरी साज़िश की ओर इशारा करती है।
अगर वो मानते हैं कि ये सब बिना राजनीतिक सरपरस्ती के मुमकिन नहीं,
तो फिर बीजेपी — चाहे केंद्र में हो या पंजाब में — अब तक किसी एक भी "बड़े मगरमच्छ" का नाम लेने या पकड़वाने से क्यों चूकी?