कभी साइडलाइन किए गए, अब फिर सुर्खियों में — राणा गुरजीत लुधियाना वेस्ट में आशु के लिए ज़ोरदार कैंपेन कर रहे हैं। 2022 में बेटे को टिकट न मिलने पर पार्टी से नाराज़गी दिखाने के बाद, क्या ये निष्ठा का संकेत है — या 2027 से पहले अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की लंबी रणनीति?
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क्या राणा गुरजीत पार्टी के किनारे से फिर ताक़त के केंद्र में लौट रहे हैं?