क्या बीजेपी ने दिल्ली में 177 नियुक्तियाँ रद्द करके केवल आम आदमी पार्टी सरकार की "गलतियों" को ठीक करने की कोशिश की है,
या यह दिल्ली में प्रमुख पदों पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए एक राजनीतिक चाल है?
क्या ये बदलाव वाकई दिल्ली सरकार के कामकाजी ढांचे पर कोई असर डालेंगे?