26/11 साल 2008 में हुआ था। अगर एक आरोपी को वापस लाने में 15 साल लग गए, तो अब जब तहव्वुर राणा की वापसी हो चुकी है — क्या अब सज़ा भी होगी? या हर पेशी टलने के साथ 26/11 के ज़ख्म फिर से हरे होते रहेंगे?
Opinion
क्या आपको लगता है ये भारत की जीत है या सिर्फ एक लंबी अदालती लड़ाई का अगला चैप्टर?