जब देश की अदालतों में 7.5 लाख से ज़्यादा ज़मीन विवादों के मुक़दमे लंबित हों, और वक़्फ़ की ज़मीनें 6 लाख एकड़ में फैली हों — तो वक़्फ़ बोर्ड से ज़मीन की पहचान का अधिकार छीनकर सरकार कौन-सी पारदर्शिता लाना चाहती है? या फिर ये भी बुलडोज़र राजनीति का एक और रूप है, बस इस बार अफ़सरशाही की नई वर्दी पहनकर?
क्या आपको पता है कि पंजाब के पानी के संकट के लिए पाकिस्तान में पानी बहने देने को दोषी ठहराया जा रहा है, जबकि असल में यह अपनी ही पानी की कमी में डूबा हुआ है?