जब देश की अदालतों में 7.5 लाख से ज़्यादा ज़मीन विवादों के मुक़दमे लंबित हों, और वक़्फ़ की ज़मीनें 6 लाख एकड़ में फैली हों — तो वक़्फ़ बोर्ड से ज़मीन की पहचान का अधिकार छीनकर सरकार कौन-सी पारदर्शिता लाना चाहती है? या फिर ये भी बुलडोज़र राजनीति का एक और रूप है, बस इस बार अफ़सरशाही की नई वर्दी पहनकर?
From Dharavi to Motilal Nagar, why does Adani always win and citizens always lose? ₹36,000 Crores for Adani, but just 1,600 sq ft built-up for 3,700 families?
धारावी से मोतीलाल नगर तक, हर बार अडानी जीतता है और आम लोग हारते हैं? अडानी को ₹36,000 करोड़, लेकिन 3,700 परिवारों को सिर्फ 1,600 स्क्वेयर फीट बिल्ट-अप एरिया?