With all these political figures like Manohar Joshi, Sushil Kumar Modi, and Bhula Bhai receiving Padma awards, is the Republic Day ceremony just an extension of BJP’s awards night? Will we soon see 'Padma Awards for Best Campaigner' too?
मनोहर जोशी, सुशील कुमार मोदी और भुला भाई जैसे राजनीतिक चेहरों को पद्म पुरस्कार मिलने के बाद, क्या गणतंत्र दिवस समारोह अब भाजपा के अवॉर्ड्स नाइट का हिस्सा बन गया है? क्या अब हम 'सर्वश्रेष्ठ प्रचारक' के लिए पद्म पुरस्कार भी देखेंगे?
Budget planners are also wondering. Should they support the middle class that pays taxes, or help the 129 million people surviving on ₹181 a day income? What if they squeeze the middle class so much that next year they may also fall in the ₹181 club!
बजट बनाने वाले भी सोच रहे हैं— मिडिल क्लास को संभालें जो टैक्स भरती है, या उन 12.9 करोड़ लोगों की मदद करें जो मात्र ₹181 प्रतिदिन की आय में जी रहे हैं? कहीं ऐसा न हो कि मिडिल क्लास को इतना निचोड़ दें कि अगले साल वो भी ₹181 वाले क्लब में शामिल हो जाए!