क्या ये चॉकलेट और पैक्ड मिठाइयों के उद्योग को बढ़ावा देने का इशारा है?
क्योंकि सालभर तो मिठाइयाँ बिकती हैं, तब क्यों ये शोर-शराबा नहीं होता?