गैर-पारंपरिक संस्थानों जैसे कृषि, इंजीनियरिंग आदि में पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री कोर्सिज़ में लड़कियों की बढ़ती संख्या महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए एक अच्छा संदेश है लेकिन सोचने की बात यह है कि युवा किस प्रवृत्ति की ओर बढ़ रहे हैं।
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क्या आने वाले समय में भी इनकी यही प्रवृत्ति बनी रहेगी और योग्यता के अनुसार रोज़गार मिलता रहेगा? संशय तो पूरा उलट है!
After spending ₹9 crores on a foundation event, ₹65,000 crore now pledged, World Bank’s withdrawal, and years of political flip-flops. Do you think Amaravati still stands a chance?