जब न्यूज़ एंकर पार्टी प्रवक्ताओं की तरह बर्ताव करते हैं और बहस के कार्यक्रम थियेटर बन जाते हैं, तो क्या भारत को एक लोक प्रसारण ट्रस्ट की ज़रूरत है, जो सरकार और कॉरपोरेट दोनों के दबाव से मुक्त होकर पत्रकारिता की साख को फिर से स्थापित करे?
Proposals - SUNLO
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When news anchors behave like party spokespersons and debate shows are theatrical battlegrounds, should India propose a Public Broadcasting Trust insulated from Government and corporate control to rebuild credibility in journalism?
Green crackers are back in Delhi this Diwali, but with smoke still in the air and rules hard to enforce, is this a clever political move for the BJP’s first Diwali in power or a reckless gamble with Delhiites’ lungs? Share your thoughts.
दिल्ली में इस दिवाली फिर से ग्रीन पटाखों की अनुमति दी गई है, लेकिन धुआँ अभी भी हवा में है और नियम लागू करना मुश्किल है। क्या यह भाजपा की सत्ता में पहली दिवाली के लिए एक चालाक राजनीतिक कदम है या दिल्ली वासियों की सेहत के साथ एक खतरनाक खेल? आपके विचार जानना चाहेंगे।